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Shivangi Agarwal

Tragedy Inspirational

4.6  

Shivangi Agarwal

Tragedy Inspirational

कुछ सवाल है, अनकहे से !

कुछ सवाल है, अनकहे से !

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कुछ सवाल है, अनकहे से, 

जो दिल की ज़मीन पर उग रहे हैं, 


मेरे साथ ही, ऐसा क्यों हुआ, 

ये पूछ रहे हैं, 


ये सवाल है, अनकहे से, 

पूछूँ, तो किससे, 

बताऊँ, तो किसे, 


क्योंकि मैं जानती हूँ, 

उनके अंदर भी, 

इन अनकहे सवालों का, बागीचा सा बन गया है, 

जो वो बाकी सब से छुपा रहे हैं, 


ये वो बागीचा है, जो किसी ऋतु पर निर्भर नहीं है, 

इसे तो बस तकलीफ़ों से सींचने की ज़रूरत है, 

ये वो बागीचा है, जो साल भर हरा होता है, 

इसे तो बस, नकारात्मकता की रोशनी चाहिए, 


और दिल क

ी टूटी फूटी ज़मीन तो इसे मिल ही चुकी है, 

जहाँ इसे पोषण के नाम पर, बहुत सारा डर मिल जाता है, 


ये वो बागीचा है, जहाँ, 

कोई भी स्वार्थी इनसान, उसे काटकर, वहाँ, 

अपनेपन की इमारत बनाने, कभी नहीं आता, 


हाँ पर इसपर उगने वाले, नफ़रत और हताशा के

फल, अकसर ही लोग तोड़कर ले जाते हैं, 


ये वो बागीचा है, जिसे, सिर्फ, 

सकारात्मकता और अपनेपन की चिंगारी ही जला सकती है, 


तो देर मत करो, इसे जल्द से जल्द नष्ट कर दो, 

क्योंकि मुझे पता है, 

तुम्हारे अंदर भी, 

कुछ अनकहे सवाल हैं, 

जो दिल की ज़मीन पर उग रहे हैं.


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