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Indu Tiwari

Tragedy

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Indu Tiwari

Tragedy

अनजाना लगाव

अनजाना लगाव

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बहुत कुछ एक सा था 

तुझ में मुझ में

फिर भी तू मुझसे

बहुत अलग सा ही रहा..

मैं चाह कर भी तेरे

जैसी न बन सकी

तूने कभी खुद को

मेरे जैसा बदलने की

कोशिश न की..

मैं अपना बहुत कुछ 

खो कर

पूर्णतः समर्पित रही 

तेरे लिए...

तू जान कर भी

पूरी तरह से 

सदा सदैव ही अनजान

बना रहा मेरी चाहत से..

कहाँ-कहाँ नहीं समझा मैंने तुझे

तूने अनसमझ बनने में ही

समझदारी जानी..

कुछ इस तरह से ही

न कभी वो मेरा हो पाया

और न ही मैं उसकी बन पाई!


 



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