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Abasaheb Mhaske

Tragedy

4  

Abasaheb Mhaske

Tragedy

चल दीवाने

चल दीवाने

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चल दीवाने, हाथ फैलते,

पैर पड़ते सीस झुकाते 

समर्पित होने, जूते खाने 

उस चरणों में 


चल दीवाने हाथ जोड़ के 

बेशक लाचार हो के 

सब कुछ भूलकर बेशर्मी से 

अंध भक्ति में लीन होने 


चल दीवाने उनके सहारे 

हाथ उठा ले बर्बाद होने 

भूखे पेट नारे लगाने 

जिंदाबाद, मुर्दाबाद 


चल दीवाने बड़ी मूर्खता से 

पुरखों की इज्जत मिट्टी में 

मिला के ,खुद की जिंदगी दाव पे 

बस मरना हैं तुझे नेता के चककर में 


चल दीवाने साथ निभाने 

भले ही रोटी, कपड़ा मकान 

रोजगार या न हो कारोबार 

हमें बनाना हैं ना विश्व गुरु ताल ठोक के 


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