बहुत डरता है
बहुत डरता है
जिस समाज के लिए मैंने काम किया
वो ही समाज बहुत डरता है , बहुत डरता है।
मर जाएगा खुद लटक कर एक दिन,
पर सच कहने से बहुत डरता है, बहुत डरता है।
कैसे उठाओगे ऐसे लोगो को, जो कुंठित हैं
एक बार हार गए जो, कभी यहाँ
फिर जीत के लिए, कदम उठाने से भी,
बहुत डरता है, बहुत डरता है।
माना आज पैसे माई बाप बना बैठा है
दबे हुए का राज़, ऊँची आवाज़ बना बैठा है।
कभी तो कोई आंधी ले आएगा, धरा पर
वो ही इंसान जो बहुत डरता है, बहुत डरता है।
चलों ज़िंदगी की नहीं तो मौत की
सुनेगा एक दिन तेरा भगवान्
लगता है अभी वो तैयारी में है , कुछ सोच रहा है
जो जाने किस कौने में आज डरा बैठा है डरा बैठा है।
पर हारे लोगो को कौन समझायेगा
कोई तो लोग जो अब हाथ बढ़ाएगा
बस ये जान लो जीतने का दम उन्ही में है
जो आज हालातों से डरा बैठा है, डरा बैठा है।
जो खुद से बहुत डरता है, बहुत डरता है।