लिख ना सकेंगे कविता का रूप ना सजा पाएंगे। लिख ना सकेंगे कविता का रूप ना सजा पाएंगे।
कामयाबी हमारे कदम चूमे पर हमारी सोच हमारी मानसिकता को हम बदल नहीं पाए ! कामयाबी हमारे कदम चूमे पर हमारी सोच हमारी मानसिकता को हम बदल नहीं पाए !
कविता समाज को एक आईना दिखाती प्रतीत होती है कविता समाज को एक आईना दिखाती प्रतीत होती है
कभी तो कोई आंधी ले आएगा, धरा पर वो ही इंसान जो बहुत डरता है, बहुत डरता है। कभी तो कोई आंधी ले आएगा, धरा पर वो ही इंसान जो बहुत डरता है, बहुत डरता है।
इक वादा सुन लो मेरा तुम चीख नहीं निकलेगी न नीर बहेगा आंखों से है समर्पण मेरा इतना ही।। इक वादा सुन लो मेरा तुम चीख नहीं निकलेगी न नीर बहेगा आंखों से है समर्पण मेरा...
मैंने सोचा कदाचित यही भाग्यवश है जो लिखा होता है, वही प्राप्त होता है, मैंने सोचा कदाचित यही भाग्यवश है जो लिखा होता है, वही प्राप्त होता है,