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fp _03🖤

Abstract Drama

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Abstract Drama

मैं नहीं चाहती

मैं नहीं चाहती

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मैं बिल्कुल नहीं चाहती, तुम इधर आओ

मैं तुम्हें नहीं देखना चाहती।

मैं पहले से ही परेशान हूं, उलझी हुई हूं।

तुम बस दूर रहो, मुझसे दूर, मेरी उलझनों से,

मेरे विचारों से, मेरी रूह से, मेरी ज़िंदगी से।


तुम्हारे एक फोन कॉल ने फिर मेरे अंदर के

ज़ख्मों को ताज़ा कर दिया है

ये बहुत मुश्किल हो गया है।

मैं बस लिखना चाहती हूं।

ये कुछ भी काल्पनिक नहीं है, सच्चाई है 


वो सच्चाई जिससे मैं भाग रही हूं, निरंतर 

बस मैं थक हुई हूं। अब आराम चाहती हूं।

तुमसे, तुम्हारे ख्यालों से या फिर खुद के विचारों से 

उस संघर्ष से जो मैं कई समय से कर रही हूं।।


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