इश्क का ऐलान
इश्क का ऐलान
इश्क का अनजान इन्सान हूं मैं,
मुझे इश्क की महिमा समझा दो,
कोरे कागज जैसे मेरे इस दिल में,
इश्क की ज्योत तुम जला दो।
पतझड़ जैसी मेरी जिंदगी में,
इश्क की बसंत तुम महका दो,
मेरे इस पत्थर जैसे दिल में तुम,
इश्क की धड़कन धड़का दो।
प्यासा बनाकर तुम्हारे इश्क में,
इश्क की गगरी मुझ पे छलका दो,
तन्हाइयाँ इश्क की मन में बढ़ाकर,
तुम्हारे इश्क का दिवाना बना दो।
साथ निभाऊंगा जीवन में तुम्हारा,
मुझे इश्क में बहना अब शिखा दो,
तुमको मेरी लैला बनाकर रहूंगा मैं,
तुम्हारा ही मजनूँ मुझे तुम बना दो।
सुमसान बने हुए मेरे इस जीवन में,
तुम्हारे दिल में थोड़ी सी जगह दे दो,
तुम ही मेरी महबूबा हो "मुरली",
यह ऐलान तुम दुनिया में करा दो।