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Baniya Shayar

Abstract

4.5  

Baniya Shayar

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ग़ज़ल

ग़ज़ल

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इश्क़ मुहब्बत में क्या हासिल होता है

जीना छोड़ो मरना मुश्किल होता है


तेरी यादें ख्वाब खयाल तू क्या जाने

इक इक अश्क में क्या क्या शामिल होता है


कौरव पांडव तो साज़िश के मारे हैं

शातिर शकुनी असली क़ातिल होता है


याद न आए जिसकी सोहबत में माज़ी

वो ही मुस्तकबिल के क़ाबिल होता है


रोते रोते छोड़ आते हैं घर वाले

हंसते हंसते पागल दाख़िल होता है।


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