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Baniya Shayar

Others

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Baniya Shayar

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सामने आ (ग़ज़ल)

सामने आ (ग़ज़ल)

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बहुत हो गया खेल अब सामने आ

है महबूब रब तो ए रब सामने आ 


हैं वो रूबरू और दिल तू कहां है

परेशानियों के सबब सामने आ 


उन्हें छिप के देखा ये देखा उन्होंने

इशारा किया बेअदब सामने आ 


सफ़र ख़त्म मंज़िल खड़ी सामने है

कहां मर गई है तलब सामने आ 


अंधेरा मिटेगा जलेगा जो 'दीपक'

हूं तैयार दुश्वार शब सामने आ ।।


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