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Baniya Shayar

Romance

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Baniya Shayar

Romance

ग़ज़ल

ग़ज़ल

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तुम नहीं रह सकोगे मिरे साथ में

बात ही यार ऐसी है हालात में 


बाज़ खुद ही वो आएगा तुम शय न लो

रात काटेगा जब इक हवालात में 


उसने बाते करी सब किसी और की

रायगां ही रहा मैं मुलाकात में 


दिन में पूछो नहीं मुझको क्या क्या है गम

लिख के भेजूंगा मैं सब तुम्हें रात में 


मुझको होना पड़ा गर किसी और का

इश्क़ नाचेगा खुद मेरी बारात में 


शेर कहने थे मुझको अधूरे रहे

कोई आता नहीं अब ख़यालात में 


इक दफ़ा बात करने को राज़ी तो हो

मैं फंसा लूं उसे बात ही बात में 


लानतों में ये गुजरेगी फिर जिंदगी

साथ भीगे नहीं हम जो बरसात में


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