जुल्फें
जुल्फें
चांदनी फिजाओं में अश्क उसका महसूस हो
निकल पड़ा राह उसकी जैसे कोई जासूस हो
आज उसके दीदार का मन में ख्याल बना रहा
धीरे धीरे घोड़े पग से टक टक कर चल रहा
जैसे ही गलियों में पहुंचा खुश्बू महक सी पा गया
उसके जुल्फ़ों में सजा गजरा भी गुल महका गया
आश जग पड़ी थी अब, की वो भी मेरे इंतेज़ार मैं
चांद को देखे चिलमन से दीदार के सपने बुने
जैसे ही पहुंचा तनक नजदीक घर से सामने
नजरें मिली दिल हुआ नजरों के घायल बाण से
आगोश में भरने को चाहा मन ने अबकी बारी उसे
नजदीक थी पर दूरी का दामन थामे खड़े
नजदीकियों को दूर करने, जुल्फें वो बिखरा गयी
उसकी जुल्फों में ही खुशबू उसकी हम पा गये
प्यार की तड़पन थी अबतो मन हुआ बेचैन था
अबकी बारी नजदीक होकर भी तन बहुत दूर था।