कविताओं को समेट रहा हूँ
कविताओं को समेट रहा हूँ
अपनी बिखरी बिखरी सी
कविताओं को समेट रहा हूँ
कभी किसी पन्ने में लिखे
शब्द खोज रहा हूँ
तो कभी अपनी
डायरियों को टटोल रहा हूँ
अपनी कल्पनाओं से लिखी
पंक्तियों को खोज रहा हूँ
अपने जीवन के हर पहलूँ
हर लम्हें को ढूंढ रहा हूँ
सफेद कोरे कागज सरीखे
अपने जीवन में
रंग भर सकूं
ऐसी ही लिखी
अपनी बिखरी बिखरी सी
कविताओं को
समेट रहा हूँ।