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Swapnil Jain

Others

4.5  

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ऋतु बसंत आगमन

ऋतु बसंत आगमन

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ऋतु बसंत के आगम में

फूले पुष्प बसंत चहुं ओर

पीत पर्ण से छा जाता 

मधुवन का हर एक छोर।


ये धरती ये अम्बर महकें

हर एक बाग बगीचा महकें

बसंत ऋतु के आगम पर

हर वन और हर उपवन महकें।


इस धरती के जो अन्न देव कहाये

जब खेत, किसान के लहरायें

बसंत ऋतु उस अन्न देव को

फसलों की सौगात दिलायें।


माँ सरस्वती का वरदान मिला

बसंत ऋतु के आगम पर

साहित्य से जुड़ी हर कलम को

मंगल सृजन सजाने पर।


जो उठा कलम लिखते उत्तम

जो मंगल गान सजाते हैं

प्रभु की भक्ति में अपनी कलम चलाते हैं

वही लेखनी और कलम

माँ के हृदय को बहुत लुभाते हैं।


सबको ऐसा माँ का आशीष मिलें

इस बसंत के पर्व पर

कलम चले सबकी नेक राह पर

चलें सब हिल मिलकर, एक ही राह पर।


ऐसा ये पावन पर्व है

जिस पर हम सबको गर्व है

चहुं ओर बसंत लहराता है

पक्षी कुं कुं कर गाता है

धरती पर पुष्प महकाता है


खेतों में बीज फसल बनाता है

चहुं ओर आनंद ही आनंद छाता है

धरती से अम्बर तक मानो सब

स्वागत में बसंत गीत ही गाता है।



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