अहिंसामय दीपोत्सव
अहिंसामय दीपोत्सव
दीपोत्सव का त्यौहार
सभी के घर में खुशियां लाता है
मिलते हैं हम सब अपनों से
खुशियों की सौगात दिलाता है।
इस दीवाली हम सब
सिर्फ अपनों का ही ना ध्यान रखें
बल्कि उन सब छोटे-छोटे जीवों का भी सम्मान रखें
अपने घर को रात सभी
तुम दीपों से जगमग करना।
पर फोड़ पटाखे
नन्हे जीवों को अपनों से ना अलग करना।
घर घर जाकर अपनों के संग
मीठा खूब खिलाना तुम
मित्र, सखा, परिवारजनों संग
खुशियां खूब मनाना तुम।
पर नन्हे जीवों पर दया दिखाना
उन्हें जिंदा नहीं जलाना तुम।
एक पटाखा फोड़ सभी
तुम खुशियां खूब मनाते हो।
पर इस अनजानी नादानी में
लाखों जीव जलाते हो।
इस दीवाली में क्यों ना हम सब
एक प्रण को स्वीकार करें।
बाकी सारी खुशियां अपनाकर
पटाखों को इनकार करें
जीव दया अंगीकार करें।
धर्म अहिंसा स्वीकार करें।