ऐ इश्क तुझे लौटकर आना होगा
ऐ इश्क तुझे लौटकर आना होगा
यह मेरी
नजर का तीर है जो
सीधे किसी के दिल में
उतरता है
यह इश्क का बुलबुला है
मोहब्बत का जलजला है
प्यार का कभी न खत्म होने वाला
एक सिलसिला है
यह सिर चढ़कर बोलता है
यह दिलो दिमाग पर एक जादू का सा
असर करता है
मय का नशा उतर भी जाता है पर
इश्क है ऐसी चीज कि
इसका स्वाद जो एक बार किसी ने
चखा तो
इसका नशा ताउम्र
जिस्म ओ जान से नहीं उतरता है
मोहब्बत का खेल अजीब है
यह सारी कायनात में अपने रंग
बिखेरता है
मोहब्बत के नशे में होता जो
चूर
उसका दिल फिर रहता नहीं उसका
वह होता यहां
उसका दिल कभी यहां कभी वहां
उसे ही न होता गुमान कि
आखिर वह है कहां
जमीन पर चल रहा या
आसमान में कहीं उड़ रहा
ख्वाबों में जग रहा या
कहीं चांद सितारों के बागों में टहल
रहा
यह इश्क तो कभी किसी को
आबाद तो
कभी बर्बाद कर देता है लेकिन
जिंदगी में गर
किसी ने इश्क नहीं किया तो
फिर क्या किया
दिल में जिसके न हो मोहब्बत तो
वह दिल फिर दिल कैसा
मोहब्बत भरा किसी का न हो
दिल तो
उसके जीने का फिर
अर्थ कैसा
उसमें मजा कहां
वह बुजदिल
दिल वाला कैसा
लहर लहर
धुआं धुआं
हवा में उड़ रहे बादल
आंच सुलग रही
इश्क दिल से नदारद
ढूंढकर कहीं से लाना होगा
मोहब्बत भरा दिल मेरा
कहीं रास्ता भूल गया
उसे वापिस उसके घर तो
पहुंचाना होगा
एक जादू की नगरी
बनाकर
मोहब्बत का मकान
सजाकर
दिल की हांडी में
खोने को था जो
इश्क
उसकी खुशबू को
धीमी धीमी
अहसासों की आंच पर
पकाकर
बचाना होगा
ऐ इश्क
तू हो न कहीं
मेरे दिल से जुदा
तू कहीं भी जा पर
आखिरकार लौटकर तो
वापिस
मेरे दिल में ही रहने
तुझे आना होगा।