मंजिलें दूर कितनी भी हों, रास्तों को पता है कि आ रहा हूँ मैं। मंजिलें दूर कितनी भी हों, रास्तों को पता है कि आ रहा हूँ मैं।
बस इतना ही याद रखो पटाखे नहीं चलाने हैं घी के दीप जलाने हैं।। बस इतना ही याद रखो पटाखे नहीं चलाने हैं घी के दीप जलाने हैं।।
घर को उनके बरस दर बरस क्यों दीवाली छूकर न जाए ! घर को उनके बरस दर बरस क्यों दीवाली छूकर न जाए !
दीये के तले अंधकार पसरा आई दिवाली उल्लास वाली। दीये के तले अंधकार पसरा आई दिवाली उल्लास वाली।
अव्यवस्था का हर ओर बोलबाला है, क्या दिवाली ऐसी होती है, ये तो दिवाला है। अव्यवस्था का हर ओर बोलबाला है, क्या दिवाली ऐसी होती है, ये तो दिवाला है।
पटाखे और फुलझड़ी चलाने का मौसम।। पटाखे और फुलझड़ी चलाने का मौसम।।