दीवाली
दीवाली
पुरुषोत्तम व्यास
आई उल्लास वाली दिवाली
धरा में तारों का होगा
वास जग मग होगा सारा जग
फुलझडियां खुशियों की चमकेगी
आई दिवाली उल्लास वाली
चेहरा हर दमक रहा
भूषण नव-नव संज रहे
रंगीन रंगोली आंगन-आंगन
आई दिवाली उल्लास वाली
मौसम में ठंड-सा अहसास
उस गली से रॉकेट छूटा
पास ही फूटा सूतली बम
आई दिवाली उल्लास वाली
डर रहा कोई पटाखों से
खा रहा कोई पकवान
नयनों का काजल उजला
आई दिवाली उल्लास वाली
याद उसकी आई आज
बूंद एक टपकी नयनों से
दीये के तले अंधकार पसरा
आई दिवाली उल्लास वाली।
