Garima Maurya
Tragedy Others
चलते चलते कहीं रुका,
तो कुछ जानने वाले मिले
तो लगा कितनी छोटी सी दुनिया है
जब जानने वालों ने पहचाना नहीं
तो लगा की इस छोटी सी दुनिया में
हम कितने छोटे है I"
दर्द
टूटना
सोचता हूं
26 January
दीवाली
26 जनवरी
सोच
दूरियां
टूट चुका
क्या तुम्हें कुछ याद है बचपन के किस्से बचपन का भोलापन। क्या तुम्हें कुछ याद है बचपन के किस्से बचपन का भोलापन।
ऐसा वफा करेगी मुझसे, मै कभी सोचा न था उनकी नज़र से। ऐसा वफा करेगी मुझसे, मै कभी सोचा न था उनकी नज़र से।
मन करता बोल दूँ .. कुछ बचा नहीं.. बस दे दो जहर.. मन करता बोल दूँ .. कुछ बचा नहीं.. बस दे दो जहर..
ये तबाही का मंज़र और न देखा जायेगा , ए वक्त थम जा अब और नहीं I ये तबाही का मंज़र और न देखा जायेगा , ए वक्त थम जा अब और नहीं I
मैं बनूँगा तुम तुम बनोगे मैं हम से रौशन जिन्दगी का नजारा है। मैं बनूँगा तुम तुम बनोगे मैं हम से रौशन जिन्दगी का नजारा है।
ज़िद्द उसकी कुछ मजबूरी मेरी, साथ चल कर हम क़दम न हुए। ज़िद्द उसकी कुछ मजबूरी मेरी, साथ चल कर हम क़दम न हुए।
भीड़ लगी है यहां पर अपने आप को अच्छा दिखाने की। भीड़ लगी है यहां पर अपने आप को अच्छा दिखाने की।
कवर दिया हुआ है कवर दिया हुआ है
यारों से अब और क्या माँगे हम, जिंदगी का अनमोल तोहफा है दोस्त यारों से अब और क्या माँगे हम, जिंदगी का अनमोल तोहफा है दोस्त
सियासत ने सफ़ाई का नया तरीका तलाशा है, अब जो भी बग़ावत करे उसे मारा जा रहा है। सियासत ने सफ़ाई का नया तरीका तलाशा है, अब जो भी बग़ावत करे उसे मारा जा रहा है।
अब तो हक से बार बार दिल में नश्तर चुभोते गए। अब तो हक से बार बार दिल में नश्तर चुभोते गए।
आधुनिक इस युग में दफ़न होता जा रहा हैं अपनापन। आधुनिक इस युग में दफ़न होता जा रहा हैं अपनापन।
मुझे अच्छी तरह से याद है वो शरीर एवं मन से बहुत मजबूत दिखता था मुझे अच्छी तरह से याद है वो शरीर एवं मन से बहुत मजबूत दिखता था
उसने इतना मुझे रुला दिया , क्या बोलूं ....? प्यार से भरोसा है उठा दिया .....। उसने इतना मुझे रुला दिया , क्या बोलूं ....? प्यार से भरोसा है उठा दिया ......
दबी- दबी, सहमी, थकी सांसे, सूखी सूखी, बेचैन ये आंखें। दबी- दबी, सहमी, थकी सांसे, सूखी सूखी, बेचैन ये आंखें।
तेरा बंदा हूं और साहिबे ईमान हूं।। हां मैं इंसान हूं..... तेरा बंदा हूं और साहिबे ईमान हूं।। हां मैं इंसान हूं.....
आज फिर आंखों में नमी सी है, आज फिर किसी अपने की कमी सी है। आज फिर आंखों में नमी सी है, आज फिर किसी अपने की कमी सी है।
"स्वरूप" की मजबूरी थी,चंद सिक्कों में उलझा था। वरना सीने में बसा लेता, मैं चीर कर मेरी "स्वरूप" की मजबूरी थी,चंद सिक्कों में उलझा था। वरना सीने में बसा लेता, मैं ची...
अपनों के बिना बर्फ की चट्टान सी है ये खुशी जो धीरे-धीरे पिघल रही है।। अपनों के बिना बर्फ की चट्टान सी है ये खुशी जो धीरे-धीरे पिघल रही है।।
गरीब मजदूर हूँ साहब मैं तो गरीब मजदूर हूँ साहब। गरीब मजदूर हूँ साहब मैं तो गरीब मजदूर हूँ साहब।