टूट चुका
टूट चुका
टूट चूका हूँ बिखरना बाकी है,
बचे कुछ एहसास जिनका जाना बाकी है,
चंद सांसें है जिनका आना बाकी है,
मौत रोज मेरे सिरहाने खड़ी हो पूछती है
भाई आ जा, अब क्या देखना बाकी है I"
टूट चूका हूँ बिखरना बाकी है,
बचे कुछ एहसास जिनका जाना बाकी है,
चंद सांसें है जिनका आना बाकी है,
मौत रोज मेरे सिरहाने खड़ी हो पूछती है
भाई आ जा, अब क्या देखना बाकी है I"