घी के दीये
घी के दीये
सुना है- बढ़ गया है
स्तर प्रदूषण का
बुद्धिजीवियों ने
बदली है नियमावली।
कि बहाई जा सकती है
कौन-कौन सी मूर्ति
किस नदी या तालाब में
कितनी बड़ी, किस धातु की।
और हाँ,
बंद होंगी पतली पॉलीथिनें
चलती रहेंगी मोटी वाली
खास ब्राण्ड द्वारा निर्मित
वे प्रदूषण नहीं करतीं।
कई तरह के रंग भी
चलन से बाहर किये जायेंगे
बदरंग कर रहे हैं जो
पर्यावरण को।
हमें फिक्र है तुम्हारी
तुम्हारे फेफड़ों की
अतः चालू बनी रहेंगी
ऐसी गाड़ियाँ।
खड़े खड़े, सिग्नल पर
बन्द होंगे पुराने स्कूटर
काम चलाऊँ दुपहिए
काली कर दीं जिन्होंने
कोठियाँ अमीरों की।
बना दी गई हैं
और नई कमेटियाँ
विचाराधीन हैं गंभीर मुद्दे
जैसे एक-रंगी वस्त्र सबके
एकता के लिए आवश्यक है।
और भी कई मुद्दे हैं
किसानों की आत्महत्या
कम हुई हैं
लेकिन और कम करनी हैं
प्रयास किया जा रहा है।
इस वक्त याद रखें
पराली नहीं जलानी है
नहीं समझते यार।
कुछ नहीं समझते तुम
गरीब और बेगुण लोग
बहुत खुश होते रहे हो न।
बिखेर कर मनचाही रोशनी
फूलझड़ियों और अनारों की
सुतली बम चलाने पर
अब होटा लगेगा।
चकरी घुमाई गई अगर
तो सोटा लगेगा
पटाखे फोड़ने वाले का
सिर फोड़ दिया जाएगा।
रॉकेट उड़ाने वाले का
मुँह तोड़ दिया जायेगा।
किसी ने कह दिया है
आदेश है ? मशवरा है ?
सब को जलाने हैं
दीये केवल घी के
एक दीया अतिरिक्त
आदेश के मुताबिक।
असंख्य दीपों का समग्र
प्रज्वलित प्रकाश
जब आव्हान करेगा देव पीठ से
तब शीघ्र स्थापित होगा।
फिर से राम जैसा राज्य
किसी ने दोहराया है
लाने का पुराना वादा
अच्छे से अच्छे दिन।
आप कुछ नहीं करना है
बेशक सहयोग भी नहीं
किन्तु दीप अवश्य जलाना
ध्यान रखना, घी के दीप।
मत कहना कि खा रहे हैं
सूखी रोटियां वर्षों से
व्यर्थ नहीं जावेगा।
तुम्हारा तप और त्याग
नाम अंकित हो रहा है
विश्व रिकॉर्ड बनाने में।
और एक बात,
मत आ जाना तुम
किसी के बहकावे में।
कुछ लोग तो कहेंगे
दौड़ रही हैं दर्जनों गाड़ियाँ
मंत्री और सचिवों को लिए।
अनन्य जो बनाना हैं हमें
पुरानी धरोहरों को
मजाक समझा है क्या
विश्व रिकॉर्ड बनाना।
सैकड़ों मंत्री होंगे
हजारों अफसरों सहित
दसों हजार गाड़ियाँ भी
तब तो जलेंगे लाखों दीप।
तनाव मत रखना तुम
अपने मस्तिष्क पर
हजारों गाड़ियों के काले गुबार का।
तुम्हें मालूम नहीं शायद
ये शासकीय गाड़ियाँ हैं
प्रदूषण नहीं करतीं।
सब निष्क्रिय हो जावेगा
घी के दीपकों से,
किसी ने कह दिया है
सब ठीक हो जावेगा।
बस इतना ही याद रखो
पटाखे नहीं चलाने हैं
घी के दीप जलाने हैं।।