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Amar Adwiteey

Drama

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Amar Adwiteey

Drama

हिनहिनाते अश्व

हिनहिनाते अश्व

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कहानी सुनाओ

आपबीती या जगबीती ?

कैसी भी, कोई सी

तो सुनो फिर...


हिनहिनाया अश्व

पुरजोर से

कसनी पड़ी लगाम

ठोक दी कील

नाल में

और नाल, खुर में !


अगली बार

फिर न हिनहिनाया

इतनी जोर से

और ठोकता गया

वह कील पर कील

उसी खुर में !


अब तू सुना

हाँ, तो सुन...

पिनपिनाया देश

सिर छोर से

लगी पुलिस तमाम

पर फोड़ दिया बम

उसने लोगों में

और लोग थे शहर में

अगली बार

फिर न पिनपिनाया

किसी छोर से

और फोड़ता गया

वह बम पे बम

उसी शहर में


क्या किया लोगों ने

हिनहिनाये नहीं

अश्व की तरह !


लेकिन अश्व क्यों नहीं

तोड़ देता लगाम

हो जाता आजाद

यही तो है

काम अश्व का

मगर नहीं

समझाता है उसे मालिक

कान में, धीरे से

फिक्र मत करना कभी

खाने या पीने की

बस नाल बदलने दो

समय समय पर

फूटते या टूटते ही


आगे, और सुन

भिनभिनाया विश्व

उड़ा दिए पुल

और ऊँची इमारतें

लोगों के हृदय भी

हो गए धराशायी

बुश फुसफुसाया

मुश मिसमिसाया

मन तमतमाया

बस एक दो बार

और वह

पुल के बाद पुल , और

दिल के बाद दिल

उड़ाता चला गय

ा !


अब सुनाता हूँ

तुम्हें कहानी आज की

देश की, विदेश की

और देशराज की...


चक्की के पाट

जब नये खुटाये जायेंगे

पहले पशुओं का अनाज पिसेगा

कुछ नई बीमारियों के

वैक्सीन हैं बाजार में

अफ्रीकियों का नम्बर पहले लगेगा

झुग्गी झोपड़ी के

कुछ नये मॉडल बनाये हैं

बम्बइया-दिल्ली को चान्स मिलेगा

नई तकनीक से बनी मिसाइलों का

इस्राइल हमस पर प्रयोग करेगा !


और, लगता है कि..

तनिक निकट आओ

कान में कहता हूँ...


अंतरराष्ट्रीय आतंकियों को

अपना तंत्र विकसित करना है

पड़ौसी मुल्क ही सर्वोत्तम

स्थान है प्रशिक्षण कैम्प का

भौगोलिक और वैश्विक दृष्टि से

और फिर,

बर्बाद होंगी आबादियां

थम सी जाएगी चहल पहल

फिर पसरेगा सन्नाटा

सहायता करने पहुंचेंगे

वही सारे दयावान मुल्कराज

बाँटे हैं जो सौ फीसदी

सब्सिडी बारूद पर !


और फिर दोहराई जायेगी

वही जीवन-शैली

बे-रंग, बेढंग, विषैली

जिसे जीया है करोड़ों लोगों ने

बीसवीं शताब्दी के अन्तरार्ध में

फिर निर्मित होंगे कई

सूक्ष्म और अति सूक्ष्म देश

जहाँ निम्नतम स्तर पर होगी

पैतृक संपत्ति

और मातृभाषा,

जिन्हें सभ्य समाज

रिफ्यूजी कैम्प कहता हैं !



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