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Amar Adwiteey

Comedy Drama

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Amar Adwiteey

Comedy Drama

एक रात का रिश्तेदार

एक रात का रिश्तेदार

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कल शाम से मेरे साथ था,

और वह बातों-बातों में,

दरवाज़े तक आ गया,

खाता- पीता भी साथ में ही था !


किन्तु मुझे आभास न था,

फिर तो उसने हद कर दी,

शयनकक्ष में घुस आया,

समझाने पर अकड़ गया !


मूड मेरा भी बिगड़ गया,

किसी को पता नहीं चले,

घर में ही नाक नहीं कटे,

दण्ड देने की कोशिश की !


हवा में घोलकर, उसको,

धोखे से जहर दे दिया,

और आश्वासन कर लिया,

सबेरे शीघ्र जागना था !


इसलिए जल्दी सोना था,

किन्तु लिए इरादा अटल,

जारी उसकी मनमानी थी,

आखिर औकात दिखानी थी !


बेशक झट से मर जाना था,

जब थोड़ा इधर-उधर गया,

मैंने समझा कि डर गया,

जब सीधे-सीधे वश न चला,

तो छदम् युद्ध पर उतर गया !


अब एक मैं था और एक वह,

पर कौतूहल बरकरार था,

चादर के भीतर समर था,

निहत्थे ही सामना किया !


जाने कब थकान असर कर गई,

और, मेरी आँख लग गई,

किन्तु मन अचेतन जूझता रहा,

मुझे हिलाकर पूछता रहा !


भुला खून की रिश्तेदारी,

आखिर अतिथि से झगड़ गया,

उसी उठापटक में जाने कब,

हाथ से हाथ रगड़ गया !


और मैं एक खूनी हो गया,

क्योंकि वह मच्छर मर गया,

मुझे एक फिक्र होने लगी,

लाश ठिकाने लगाने की !


दूसरे, खून-संबंधी को,

विधिवत दफ़नाने की,

यह उधेड़बुन जारी थी कि,

पड़ोसी का अलार्म बोल गया !


अर्थात सवेरा हो गया,

एक मामूली मच्छर ने हमें,

क्या से क्या बना दिया,

चैन से सोना था किन्तु,

सारी रात जगा दिया,

सारी रात जगा दिया !


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