Amar Adwiteey

Tragedy

3  

Amar Adwiteey

Tragedy

मैया मिली न गैया

मैया मिली न गैया

1 min
13.4K


हो गई मन की

कर लिया बँटवारा


क्या-क्या बाँटा

चूल्हा और आटा


चम्मच, गिलास, थाली

जमीन भी बाँट डाली


दहेज में मिली संदूक

दादाजी की बंदूक


अरे, किन्तु माँ तो एक है

उसे कैसे बाँटा


दो विकल्प रखे हैं


चार-चार महीनों

रखेंगे भाई तीनों


लेकिन क्या होगा

जब बड़े भाई का

टर्न पूरा होगा


मझला संग-घरवाली

ससुराल बजाये ताली


खैर, माँ ही तो है

रह लेगी बरामदे में

बरसों रही जो है


तो आप सभी राजी हैं ?

नहीं, मुझे ऐतराज है


नहीं भाई नहीं

हमारी अलग च्वॉइस है


दूसरा ऑप्शन

सीजन वाइज है


मेरे पास एक्स्ट्रा रजाई है

भैया ने कूलर की मोटर

अभी-अभी भरवाई है


गाय को क्या बेच देंगे ?

अब तो दूध भी नहीं देती

कैसे मिलेगी उसे रोटी ?


क्या कहा,

मैया देगी रोटी

उसी ने जिद से रखी है


कहती रही हमेशा

खूँटे पर होगी गैया


तो घर में रहेगी शांति

सुधरी रहेगी बुद्धि

रहे दूर हरेक भ्रांति


रिश्तों की रीढ़ पर

चल गया आरा


समय की चाल से

हर कोई हारा


तीनों मन उदास थे

कितने दूर हो गए

जो कल पास पास थे


मिल गया सब को

पैसा और रुपया


किन्तु किसी को ही

मिली नहीं दोनो

गैया और मैया।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy