ये जो चुनरी में दाग़ है क्यूँ छुपाती फिरती हो...! ये जो चुनरी में दाग़ है क्यूँ छुपाती फिरती हो...!
दूर - दूर तक इंसानियत का कोई वास्ता नहीं है ! दूर - दूर तक इंसानियत का कोई वास्ता नहीं है !
मेरी रूह ! मेरी रूह !
एक हलफनामा...। एक हलफनामा...।
है वजूद मेरा ज़िंदा...। है वजूद मेरा ज़िंदा...।
सोचना ज़रूर ! सोचना ज़रूर !