छोटे गाँव में हम बसते हैं किन्तु, संग साथ सब को लेकर चलते हैं, एकाकी जीवन तुम्हारा कितना नीरस लगता... छोटे गाँव में हम बसते हैं किन्तु, संग साथ सब को लेकर चलते हैं, एकाकी जीवन तुम्...
तुम बूँद-बूँद स्वच्छ पानी को तरसोगे, अगर गंगा अपनी प्रदूषित रखोगे...! तुम बूँद-बूँद स्वच्छ पानी को तरसोगे, अगर गंगा अपनी प्रदूषित रखोगे...!
बस इतना ही याद रखो पटाखे नहीं चलाने हैं घी के दीप जलाने हैं।। बस इतना ही याद रखो पटाखे नहीं चलाने हैं घी के दीप जलाने हैं।।
पर्यावरण के कर्म धर्म के महायज्ञ शुभारंभ आरम्भ आवश्यक का वर्तमान। पर्यावरण के कर्म धर्म के महायज्ञ शुभारंभ आरम्भ आवश्यक का वर्तमान।