अव्यवस्था का हर ओर बोलबाला है, क्या दिवाली ऐसी होती है, ये तो दिवाला है। अव्यवस्था का हर ओर बोलबाला है, क्या दिवाली ऐसी होती है, ये तो दिवाला है।
मन की धरा क्यों है आखिर, इतनी शुष्क तुम्हारी। मन की धरा क्यों है आखिर, इतनी शुष्क तुम्हारी।