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Jayshri Rajput

Tragedy Fantasy Inspirational

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Jayshri Rajput

Tragedy Fantasy Inspirational

कविता

कविता

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सोच कर लिखना कविता

क्योंकि कविता शब्दों का जाल नहीं है

न ही भावनाओं की उलझन है

कविता छन्दों और मात्राओं का

अनुपात भी नहीं है

कविता शब्दों के ऊन से बुनी स्वेटर भी नहीं है

कविता दिलों को चीर कर

निकलने को आतुर आवेग है 


कविता उनवान हैं उन चीख़ती सांसों का

जो देह से घुस कर हृदय को छलनी कर जाती हैं

कविता उन गिद्धों का चरित्र है

जो नोच लेते हैं शरीर की बोटी बोटी 


कविता सिर्फ सौंदर्य का बखान नहीं है

कविता उन आंखों की दरिंदगी है जो

कपड़ों के नीचे भी देह को भेद देतीं हैं 


कविता सिर्फ नदी की

कल कल बहती धार नहीं है

कविता उन आशंकित नदी के

किनारों की व्यथा है

जो हर दिन लुट रहे हैं किसी औरत की तरह

कविता में घने हरे भरे वन ही नहीं हैं

कविता चिंतातुर जंगल की व्यथा है

जहाँ हर पेड़ पर आरी के निशान हैं 


कविता शब्दों के जाल से इतर

तुम्हारी मुस्कराहट की चांदनी है

कविता पेड़ से गिरते पत्तों का दर्द है

कविता झुलसती बस्तियों की पीड़ा है

कविता बहुमंजली इमारतों का बौनापन है

विदेश में बसे बेटे की आस लिए बूढ़ी आँखें हैं

कविता दहेज़ में जली बेटी की देह है

कविता रोजगार के लिए

भटकता पढ़ा लिखा बेटा है 


कविता देशद्रोह के जलते हुए नारों में हैं

कविता दलित शोषित के छीने अधिकारों में है

कविता सिर्फ शब्दों का पज़लनामा नहीं है

कविता बेबस घरों में

घुटती औरत की कराहों में है

इसलिए कहता हूँ कि सोच कर लिखना कविता

क्योंकि कविता सिर्फ शब्दों का जाल नहीं है....


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