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Jayshri Rajput

Others

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Jayshri Rajput

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फरेब

फरेब

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क्यों फरेब से ज़लील करने का शौक पाल बैठे हो,

खुद ना कर सके वफ़ा और इल्जाम हमीं पें डाल बैठे हो!


थोड़ी तो गैरत बची होगी ना‌ ज़हन में आपके,

खुद नजरअंदाज कर के हम पर नजर जमाएं बैठे हो !


बिगड़े ताल्लुकात संवारने की कोशिश की है हमनें,

खुद जवाब ना‌ देकर तंज हमीं पे कसाएं बैठे हो !


बता दों ये सिलसिला कब तक चलाएं रखोगे,

अपने गरूर में सोचों हमारा कितनी बार कत्ल कर बैठे हो !


बात करतें हो मजबूरी और मेरी गलतियों की,

गर की थी मोहब्बत तो क्या निभाने की जूर्रत कर बैठे हो ?


और तितलियों के पिछे मंडराते भंवरें हो तुम,

मेरे ना सही किसी एक के होने की क्या हिम्मत कर बैठे हो ?


चलो छोड़ो ये सारी बातें, तुम सही और मैं गलत,

पर कब तुम मेरी गलतियां आकर बताने बैठे हो ?



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