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Jayshri Rajput

Tragedy Inspirational Thriller

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Jayshri Rajput

Tragedy Inspirational Thriller

मैं शान्त हूँ...

मैं शान्त हूँ...

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मैं शान्त हूँ, एकांत हूँ, बिन शब्दों की वृतांत हूँ।। 

मैं रची गई बिन भावों की, एक काल्पनिक अवतार हूँ।


मैं दूब हूँ, घास हूँ, बिन आसो की मैं आस हूँ।।

मैं दर्पण हूँ बिन दर्पण का, मैं कच्ची एक शराब हूँ।

मैं गीत हूँ, मनमीत हूँ, बिन सुना गया संगीत हूँ।। 


मैं बिन आवभगत मेहमान हूँ, एक छली गई सन्तान हूँ।

मैं लोक हूँ, परलोक हूँ, बिन दीये का आलोक हूँ।।

मैं बिन मिले हुए तन-मन का, एक जन्मी गई कतार हूँ।

मैं पूर्ण हूँ, संपूर्ण हूँ, बिन इच्छा का प्रकीर्ण हूँ।। 


मैं यार हूँ, प्यार हूँ, हाँ केवल मैं इस वक्त का बीमार हूँ।।

मैं शान्त हूँ, एकांत हूँ, बिन शब्दों की वृतांत हूँ।।


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