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Jayshri Rajput

Tragedy

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Jayshri Rajput

Tragedy

सज़ा

सज़ा

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मरने भी नहीं दे रहा, ना ही जीने दे रहा ।

ना मुझे मार रहा, ना जिंदा रख रहा ।।

ऐसा क्या सीखा रहा, जो सीखाया ना जा रहा ।

ना खुद आ रहा, ना मुझे बुला रहा ।।


ना जगा रहा, ना सोने दे रहा ।

ना मुझे समझ रहा, ना समझा रहा ।।

ऐसा क्या लिख रहा, जो लिखा ना जा रहा ।

ना खुद बोल रहा, ना मुझे बता रहा ।।


ना रोने दे रहा, ना हंसने दे रहा ।

ना मुझे गीरने दे रहा, ना उठा रहा ।।

ऐसी क्या परिक्षा ले रहा, जो तय किया ना जा रहा ।

ना हारने दे रहा, ना मुझे जीता रहा ।।


ना खोल रहा, ना समेट रहा ।

ना मुझे तोड़ रहा, ना जोड़ रहा ।।

ऐसा क्या दे रहा, जो दिया ना जा रहा ।

ना उंगली थमा रहा, ना मुझे रास्ता बता रहा।।



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