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Jayshri Rajput

Romance Tragedy Classics

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Jayshri Rajput

Romance Tragedy Classics

जीना हराम

जीना हराम

2 mins
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सब दुःख झेल लूं, पर यह झेल ना पाऊं
ऐसा मेरे नाक में दम कर रखा है,
इस आदमी ने मेरा, जीना हराम कर रखा है।

मैं रोती बिलखती सब-कुछ सहती नादान
इसने क्लेशों का कारण सरेआम कर रखा है, 
इस आदमी ने मेरा, जीना हराम कर रखा है।

मैं सब ठीक करने की कोशिश करते रहती मासूम 
इसने मुसीबतों की आग में घी डाल रखा है,
इस आदमी ने मेरा, जीना हराम कर रखा है।

मैं हर बार सही दिशा समझाती बतलाती सी बेवकूफ़ 
इसने दुनिया के हर गलत रास्ते पे डेरा डाल रखा है,
इस आदमी ने मेरा, जीना हराम कर रखा है।

मैं हर मसले को सुलझाते-सुलझाते थक चूकी अबला,
इसने मसले खड़े करने का ठेका पाल रखा है,
इस आदमी ने मेरा, जीना हराम कर रखा है।

मैं हर बार भरोसा कर इसकी बातों में आने वाली बच्ची,
इसने उस भरोसे की बीन का डीजे बजा रखा है,
इस आदमी ने मेरा, जीना हराम कर रखा है।

मैं रहना है साथ यही सोचकर इसे झेलने वाली महिला,
इसने साथ चलने का रास्ता भी जाम कर रखा है,
इस आदमी ने मेरा, जीना हराम कर रखा है।

तंग आकर इसे इसकी बर्बादी के सौं कारण गिनाती मैं प्रेमिका
यह मुझपर इमोशनल ब्लैकमेलिंग की हर चाल चल रखा है,
इस आदमी ने मेरा जीना हराम कर रखा हैं।

मुझसे करता है प्रेम इस लिए इतना सह रही हूं इसे
वरना मैंने भी इसका पुरा इंतजाम कर रखा है,
क्योंकि सच में...
इस आदमी ने मेरा, जीना हराम कर रखा हैं।


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