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Jayshri Rajput

Tragedy Inspirational Thriller

4  

Jayshri Rajput

Tragedy Inspirational Thriller

सवाल

सवाल

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चार साल बाद उसने एक आखरी बार मिलने की इच्छा जताई.. 

मैंने भी शिकायतों से भरें सवालों के जवाब के लिए हामी बताई..

समय आया तब मना कर बैठी, दोस्त से मिलने का बहाना कर बैठी..

वजह सिर्फ इतनी थी, उसकी पत्नी अस्पताल में एडमिट थी..

उसका नौवां महिना था, और मेरे मन में "चल छोड अब क्या करना?" चल रहा था..

सब बताकर जबरदस्ती् दोस्त को बुलाया, वो मुझसे मिलने आयेगा उसे बताया..

उस दिन सारी बातें सच हुई, वोह सच में आया यह देख मैं हैरान हुई...

चेहरा उतरा देखा तरस आया, सोचा क्या ही सवाल पुछूं इस पर तो तुफान बरस आया...

कुछ साधारण सी बातें की, कुछ पल में उसे जाते देख आखरी विदाई दी...

मिन्नत भोलेनाथ से बस एक की, कहां मैं सही थी तो उसके घर बेटी की ख्वाहिश की...

पुछ तो ना पाई उससें की अब वो कैसे रहता हैं,

क्या मेरी तरह भी अब उसे वह तवे से निकाल थाली में गरम रोटी देता हैं?

क्या अब भी मेरी तरह वह वक्त मांगने के लिए लड़ता रोता हैं?

क्या मेरी तरह अब भी वह तेरे पैर दबाता हैं?

क्या मेरी तरह अब भी वह भी जेब पैसे चुराकर डिब्बे में बचाकर रखता हैं?

क्या मेरी तरह वह भी तेरे ना कमाने पर खुदसे घरखर्च उठाता है?

क्या मेरी तरह वह भी तुझे अपने पराएं सही गलत का फर्क सिखाता हैं?

क्या मेरी तरह वह भी तबियत खराब होने पर भी घर के काम करता है?

क्या मेरी तरह वह भी तुझसे खाना बनाने की जिद्द करता हैं?

क्या मेरी तरह वह भी रो रो कर बरामदे में बैठ साथ बतियाने की राह देखता है?

क्या मेरी तरह वह भी इज्जत के दो बोल के लिए तरसता है?

क्या मेरी तरह वह भी घर की जायदाद बचाने की सलाह देता हैं?

क्या मेरी तरह वह भी घर का कर्ज चुकाने के लिए दुर देस जाकर मेहनत करता है?

क्या मेरी तरह वह भी देर रात कोने में चुपचाप रोता है?

क्या मेरी तरह वह भी क्लेशों में तेरी मरते दम तक तेरी मार सहता है?

क्या मेरी तरह वह भी तेरे परिवार के अपनाने का इंतजार करता है?

क्या मेरी तरह वह भी देर रात तक तेरा लौट आने का इंतजार करता हैं?

क्या मेरी तरह वह भी तेरे साथ चलने के लिए उसके सपने तोड़ देता हैं?

खैर...सारे सवाल तो मन में ही रह गए, जब देखा तेरा ऐसे आगे बढ़ाना तो आंसु भी छुप गए!

मेरी तरह उसके तो हाल नहीं होंगे, जैसे मैं टूटीं वैसे तो उसके बवाल नहीं होंगे...

यही सोचकर हवाई जहाज से निचे आई, उतने में मसैज आया की उसे बेटी हुई...

सुनकर किस्मत का खेल कुछ समझ नहीं आया, सालों लगे संभलने को तब यह मकाम पाया...

चलते हुए मुस्कुराकर सोचा शायद यही ऊपरवाले की मर्जी होगी,

मैं भी किसी की बेटी थी यही बात उसे समझाने के लिए सुनी होगी..! 

बस उस दिन एक खयाल मुझे समझ नहीं आया..

बीवी अस्पताल में एडमिट थी और 

ऐसे में वह मुझसे मिलने क्यों आया??



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