बुरे दिन नहीं होते कोई
बुरे दिन नहीं होते कोई
शाम सुबह के अंतराल में,
अंधेरे बीच में आते हैं।
बुरे दिन नहीं होते कोई,
ठहरने को वो कहते हैं।
अंधेरे को साफ करने,
नई किरणें ही आते हैं।
ज्यादे उजाले भी ठीक नहीं,
दोपहर को किरणें बतलाते हैं ।
बुरे दिन नहीं होते कोई,
ठहरने को वो कहते है।
कई पहरा होते हैं दिन के,
हर क्षण कुछ बदलाव दिखलाते हैं।
शाम की किरणें अस्त ना होते- होते,
अगली सुबह का दृश्य दिखलाते हैं।
अंधेरे नहीं होते कोई ,
वो ठहरने को कहते हैं।।
बुरे दिन भी कट जाएंगे,
इन्हें दिखाने ही अंधेरे आते हैं।
बुरे दिन नहीं होते कोई
ठहरने को वो कहते है।
