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Prahlad mandal

Inspirational Thriller

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Prahlad mandal

Inspirational Thriller

अपने से दुगुना

अपने से दुगुना

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ऊंची मकान,ऊंचे थोड़े धंधे हैं,

बस इतना पैसा में भला कौन लड़का देता हैं...

ये दहेज भी ना साहब !अपने से दुगुना

उम्र वाले लड़के से शादी करा देता हैं.. 


देख ना बिटिया कितने उनके घर में कमरे हैं,

तुझे तों पता हैं ना तेरे बाप के पास इतने ही पैसे हैं...

बिटिया तों समझदार हैं इन्हें क्या समझा रहें हैं आप,

विश्वास कीजिए हमारे लाए रिश्ते अच्छे हैं...


आप काम कीजिए बस इतना

इंतजार कीजिए पैसें का जल्दी हो जितना...

तांता लगा हैं घर में उनके रिश्ते का

आप बस दीजिए अभी रोकने बस उतना...


अरे क्या ही बताएं भैया, दीदी,चाचा-चाची सब 

हमसे ज्यादा औकात हैं होने वाले दामाद का अपना..

अरे भतीजी तकदीर वाली निकली तुम रे,

ऐसा लड़का का तो तुम ना देखी होगी कभी सपना...


मेरा जुबान क्यों नहीं बोल पा रहा

मुझे बांधा जा रहा हैं बस कह कर अपना..

जन्म मेरा अपराध हुआ सुनो भगवन,

पराये कह रहें मुझे जन्म देने वाले

जिसे जानने तक नहीं दिया पल भर भी मुझे

और उसे बनाने बोल रहा हैं सब अपना...


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