लहू सनी हैं इस मिट्टी में
लहू सनी हैं इस मिट्टी में
रक्त बहे हैं
धड़ भी कटे हैं..
नींदों को रख सलाखों में
जाग के लड़ाई लड़ी हैं..
अंग्रेजों की हुकूमत को
बल बुद्धि दोनों शस्त्रों के
प्रहार से हरायी हैं।
नदियां की जल निर्मल ना देख
धरती की हरियाली सुंदर ना देख
कश्मीर की वादियों की
बर्फीली चट्टानें ना देख...
देख मेरे वतन के प्यारे
लहू सनी मिट्टी में वीर जवानों की ओर..
हर स्थिति में ऊंचा कैसे रखा
जान हमारे प्राण हमारे तिरंगे को हर ओर...
ले लो प्रण हर रोज
सूर्य की किरणों सा चमकाएंगे
तिरंगे को हर ओर
तिरंगे को हर ओर ...
जय हिन्द
वन्दे मातरम्
