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Shailaja Bhattad

Abstract

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Shailaja Bhattad

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गुरु

गुरु

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कलम दवात गुरु मिले।

 मिले व्यवस्थित ज्ञान।

 हर उठती जिज्ञासा का।

  गुरु करे निदान।

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 नई दिशा दृष्टि नई।

 नई सार्थक पहचान।

 गुरु का जब सानिध्य मिला।

 मिला व्यवस्थित ज्ञान।

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प्रगति पथ पर अग्रसर हुआ। 

 विवेक विश्वास के साथ।

हुनर को पंख मिले।

 मिले अपनों का साथ।


जीवन को गति मिली।

 मिला निरंतरता का साथ।

 जिज्ञासु प्रवृत्ति का।

हुआ असीमित विकास।


सर्व मंगल की कल्पना।

 सर्व मंगल का भाव।

 बनी विश्व कल्याण की अल्पना ।

 दिख रहा संस्कारी प्रभाव।

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हाथ जोड़े खड़ा हूं।

 लिए कृतज्ञ भाव।

ज्ञान का सागर मिला।

 दिखा गुरु प्रभाव।

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सुनना सुनकर अमल करना।

 निरंतर पथ पर बने रहना।

अडिग अमिट छाप गढ़ना।

 राष्ट्र हित में सुदृढ़ बनना।

 गुरुकुल का है पाठ यही।

 श्रेष्ठता की राह यही।

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बोकर बीज सद्गुणों का। 

 सींचा संस्कारों से प्रतिदिन।

 भावों को विस्तार दिया।

  दिया महकता दिन।

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संस्कारों से जुड़ना।

 मर्यादा में रहना।

 सद्भावों का बढ़ना।

संस्कृति का निखरना।

 नेतृत्व गुण का रहना। 

   क्षमताओं का सँवरना।

उत्कंठा का बहना।

 सशक्त राष्ट्र की नींव रखना।

यही परिभाषा बनती जीवन की।

 यही आशा रहती हम सबकी।



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