सोचने लगे
सोचने लगे
मैंने तुम्हारें बारे में सोचते हुए
दुःख और सु:ख को महसूस किया है
तुम्हारे लिए लिखे है तमाम पत्र
कुछ अधूरे है जिन्हें कभी पूरा नहीं कर सकी
कुछ पूरे हुए पर उनपर तुम्हारा नाम नहीं लिख सकी!
मैंने सृजन में अपना सारा प्यार उड़ेल दिया है
शिकायतों को और तुम्हारी बेपरवाहियों को कहा है,
मैंने तुम्हारे बारे में सोचते हुए
जिंदगी के तमाम उन पहलुओं को जिया है
जिनमें खुद को सबसे पीछे खड़ा पाया
जहां जाना अपेक्षा और उपेक्षा में फर्क !
मैंने तुम्हें सुनते हुए उस कटु सत्य को सहा है
जो मैं अक्सर अपनी जिद और नादानी में अपनो से,
बिना उनकी हृदय पीड़ा को समझे कह जाती हूँ
मैंने तुम्हारे बारे में सोचते हुए
आंखों में आंसू और दिल में खुशी को एकसाथ
उतरते देखा है ...
मैंने तुमसे सिर्फ प्यार नहीं किया है
मैंने पहरों तुम्हें खुद में जिया है
तुम्हारे दुखो में दुखी, सुखों में सुखी
और न जाने कितनी बार तुम्हारे कहे
अर्थक निरर्थक भावों पर खुद को
मृत और जीवित महसूस किया है...
मैंने तुम्हारे बारे में सोचते हुए
खुद को भुला दिया है ...
तुम इतनी सी बात इतनी देर में क्यों समझ सकें हो
तुम मेरी आहटों को अब महसूस करने लगे हो
तुम अब मेरे बारे में सोचने लगे हो..
मैंने तुम्हारे बारे में सोचते हुए