माँ बच्चे का अनोखा बंधन
माँ बच्चे का अनोखा बंधन
ईश्वर ने भी कितना ख़ूबसूरत सा ये रिश्ता बनाया है,
माँ और बच्चे का अनोखा सा अटूट बंधन बनाया है।
सागर से भी गहरी होती है माँ की ममता की दास्तान,
एक माँ के लिए जान से प्यारी होती है उसकी संतान।
बच्चों की खातिर ही जीती हर तकलीफ़ सह जाती है,
धूप में शीतल छाया माँ, प्यास में दरिया जैसी होती है।
कोई भी हो उलझन चेहरा देखकर ही वो समझ जाती,
माँ की ममता है ऐसी संतान को हर मुश्किल से बचाती।
अँधेरी राहों में जलते दीपक की रोशनी सी होती है माँ,
मुसीबत में ढाल बनती दर्द में संजीवनी सी होती है माँ।
ममता की दौलत से देती है जो ज़माने भर की खुशियाँ,
वो माँ है जिसकी दुआएँ रोक देती ग़म की भी आंधियाँ।
माँ की ममता को जिसने भी छला है उसे सुख न मिला,
फिर भी एक माँ को अपनी संतान से न रहे कोई गिला।