माथे की बिंदी भारत के "हिंदी"
माथे की बिंदी भारत के "हिंदी"
माथे की बिंदी भारत के "हिंदी"
है ये भाषा महान,
समाये हुए है इसके अंदर
देश के भाषा तमाम ।।
शब्द वैभव की विपुल भंडार
लिपि देवनागरी,
अक्षर सुंदर सुधड़ मनोहर
नयन मन मुग्धकारी।।
छंद ताल यति लय लैस बोली
पद-पद मंद मधुर,
श्रुति-सुधा वितरण कारी भारी
सहलाए दिल की छोर।।
काव्य कथा गीत मुहावरों का
समन्वय अनुपम,
काल पात्र नीति रीति के हिसाब
सर्वथा बिराजमान ।।
काव्य प्रबंध रूपक नट नाटक
मुक्तक गीत ग़ज़ल,
चम्पू चौपाई दोहे लोकगीत
रस रिसे अविरल।।
अनुप्रास उपमा अलंकार करे
काव्य शोभा विमण्डित,
श्लेष बिशेष शब्द सौम्य विन्यास
समृद्ध छंदबद्ध गीत।।
दिलों में रची बसी ऐसे "हिंदी"
हाथों में जैसे मेहँदी
सबसे सरल सबसे सुंदर है
भाषा निराली "हिंदी"।।