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Amita Kuchya

Abstract Inspirational

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Amita Kuchya

Abstract Inspirational

बचत‌ रुपी पौधा

बचत‌ रुपी पौधा

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जितनी जरूरत हो उतना ही खर्च करो

फिजूल न व्यर्थ करो 

 एक एक रुपया से गुल्लक भर जाएगी

सदा देते ज्ञान पिता इक बेटे को

जैसे हम पौधे में पानी देकर देखभाल करें

वैसे ही हर दिन हम बचत करें 

क्यों न रोज कमाकर बचत का नियम बनाए

मुश्किल समय में काम आएगा 

ऐसी हम सोच बनाए तब बेटा कहता

 पापा क्या करोगे इतनी बचत का 

इक तो दिन तुम्हें जाना ही है

 ये सब तो मेरा होना ही है।

क्यों अपनी इच्छा को मारूं

वो पुरानी कार को बेच न्यू कार ले आया 

अपने शौक पर फिजूल खर्च

 वो नित दिन करने लगा,

इसे देख पिता को दर्द हुआ।

इक दिन हार्ट अटैक ऐसा आया 

जिसमें लाखों रुपये के हो गये वारे न्यारे ,

जिसमें खर्च हो गए बचत के सारे

आज उसे एहसास हुआ

 बचत रुपी पौधा ही 

पापा के इलाज में काम आया।

धीरे-धीरे उसी बचत रुपी पौधे की देखभाल कर 

पैसे रुपी वृक्ष बनाया

 फिर कुछ ही दिनों में वृक्ष की शाखा फैलाकर

एक सफल बिजनेस मैन कहलाया।



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