ऐसी क्यों हो जाती विदाई??
ऐसी क्यों हो जाती विदाई??
हंसती चहकती थी वो
क्यों यादें में बस गई वो
पढ़ाई लिखाई में थी अव्वल वो
घर की बेटी और जान थी वो
केवल उन्नीस वर्ष की थी वो
ईश्वर के आगे हमारी क्यों न चल पाई
हम कहते हैं जो होगा अच्छा होगा
पर माता पिता को कैसे रोता छोड़ गई वो
परम पुण्य आत्मा थी क्या वो
समय और ईश्वर के आगे एक न चली
जितनी सांसें थी उतनी मिली उसे
पेपर था अंतिम उसका
ज्वर जो सिर तक पकड़ा
जो सोई सो उठ न पाई वो
सारे प्रयास विफल हुए
ईश्वर के आगे हम फेल हुए
दान पुण्य, हवन-पूजन काम न आया
डाक्टर के प्रयास विफल हुए
विशेषज्ञ भी हार गए
क्यों बेटी की ऐसी हो गई विदाई
कल्पना के कोसों दूर की बात थी
जो ऐसी चहकती थी
घर आंगन को सूना छोड़ गयी वो
क्या पता था नम अश्रू से देनी पड़ेगी विदाई
ऐसी क्यों हो जाती है विदाई ••••
