मेरे सपने अधूरे रह गए •••!!!
मेरे सपने अधूरे रह गए •••!!!
दिन हो या रात बस एक ही सपना होता
मैं भी सुंदर डिजाइन के कपड़े पहनूं
पापा से कहती नये कपड़े दिला दो
पापा कभी कहते बर्थ डे में दिलाएंगे
कभी कहते दीवाली में दिलाएंगे
साल में दो-चार जोड़ी कपड़े ही आते
मन की ख्वाहिश होती
हमेशा बदल बदल कर कपड़े पहनूं
बड़ी होने पर सोचा अपनी बुटीक खोल
सस्ते में नये डिजाइन वाले कपड़े बनाऊंगी
मैंने सिलाई सीखकर शौक पूरा किया
पर शादी होते ही बुटीक खोल न पाई
शादी होते ही जिम्मेदारी ऐसी आई
बूढ़े सास ससुर की जिम्मेदारी निभाई
फिर बच्चों की जिम्मेदारी से सपने
अधूरे ही रह गये••••!!!
