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Amita Kuchya

Abstract Inspirational

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Amita Kuchya

Abstract Inspirational

हिंदी हूं, मैं हिंदी हूं

हिंदी हूं, मैं हिंदी हूं

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हिंदी हूं ,मैं हिंदी हूं,

स्वर व्यंजन के तालमेल से बनी मैं हिंदी हूं

नहीं कहीं दिखती जटिलता है,

सरल सहज सी मैं हिंदी हूं


जहां चाहे बोलो ,जहां चाहे सुनो

हर कोई मुझे जन्म से बोले मैं हिंदी हूं,

कहीं झिझक नहीं ,कहीं संकोच नहीं,

शान से बोलो मैं हिंदी हूं 


लोग लिखते पढ़ते समय हकलाते नहीं

न कोई लुप्त सा वर्ण हो,

हिंदी व्याकरण के ज्ञान का भंडार मैं हिंदी हू

जहां देखो वहां रहती हूं


हर दिल ,हर जुबां पर छाई मैं हिंदी हूं 

हर दिल में सम्मान है मेरा

राजभाषा बनी फिर 

राष्ट्रभाषा का सम्मान मिला मैं हिंदी हूं,


अंग्रेजी के जैसा कभी कभार

 नहीं रहना जुबां पर

मैं तो हर दिल में जन्म से मरण

 तक छाई मैं हिंदी हूं 


भारत के कवि लेखक का हथियार हूं,

कोई भाषा कितना भी इतरा लें

भावों का, संवादों का, एहसासों का,

दुख दर्द का, आधार मैं हिंदी हूं,


मैं झरना हूं भावों का

 झर झर भावों को भर दूं मैं हिंदी हूं 

प्यार से एक बूंद भी खाली रह न जाए

ऐसी बयार मैं हिंदी हूं।


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