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Komal Kamble

Abstract Tragedy Inspirational

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Komal Kamble

Abstract Tragedy Inspirational

गुमशुदगी

गुमशुदगी

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लापता हूं मैं

मेरा जहां गुमशुदा है

खुशियों के उस पार

मेरा कुछ तो रूका है।


बुलाना चाहता हूं उसे पास 

पर वहां जा नहीं सकता

ख्वाइशों की चाहतों की तहत

उन्हें पास बुला नहींं सकता।


जो पीछे छूट आया है

लगता है वो अधूूरी जिंदगी है मेरी

चाहता हूं पूरी करना उसे

पर चाहकर भी पूरी कर नहीं सकता।


उसे पीछे छोड़कर 

आगे तो बढ़ चुका हूं

फिर भी लगता है मुझे

मैं पीछे ही रह गया हूं।


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