आंखें राह ताके
आंखें राह ताके
उस बूढ़ी मां की आंखों में
अब भी आशाएं झलक रही
जिस बच्चे को जन्म दिया
उसकी राह तके हुए
एक कोने में पड़ी हुई है
बेटे से मां का बुढापा झेला न जाता
इसलिए आज मां आश्रम में है
पूछे अगर उस मां से कोई
कहती मेरे बेटे को इतना समय नहीं है
मां को फिर भी उम्मीद यहीं है कि
मेरा बेटा मुझे एक दिन लेने आएगा
क्या लगा था उसे की उसके आखरी पढ़़ाव में
वह उसे अकेला छोड़ जाएगा
मां से ऐसा व्यवहार कर
उसकी ममता का अपमान न करो
आंखों में उसकी लाकर आंसू
मिटाए न मिटे वो पाप ना करो।
