काम पर जाने वाली माँ
काम पर जाने वाली माँ
काम पर जाने वाली माँ
जब छोड़ जाती है अपने बीमार बच्चे को
अकेले घर पर सोते हुए..
फिर वो कहाँ जा पाती है काम पर भला?
अटका रहता है दिलोदिमाग वहीं।
आत्मा बगल में बैठी रहती है
उस बीमार बच्चे के।
लड़ती है ईश्वर से अपनी नियति को लेकर
अपने किसी अनकिए बुरे कर्मो
के लिए माँगती है क्षमा।।
और अंत में आँसू बहाते हुए
अनचाहे ही निकल पड़ती है
अपने काम पर।
उसका घर से यूँ निकलना
बच्चों के सुखद भविष्य का
माध्यम बन जाता है।
फिर क्यों भला माँ के उस त्याग को
संसार समझ नहीं पाता है?