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Rajesh Raghuwanshi

Tragedy

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Rajesh Raghuwanshi

Tragedy

चले जाना

चले जाना

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किसी का चले जाना

कितना आसान होता है न

उसके लिए जो 

जा रहा होता है।


पलटकर एक बार भी 

नही देखता वो उसे

जो पलकों को अश्कों में भिगोये

ना जाने की बात कहने की 

मशक्कत करता है।

पर कह नही पाता वो 

उस सच्चाई को।

इसलिए नही की 

अहम उसमें भरा होगा,

वरन इसलिए की 

गला उसका रुंध चुका है।

आवाज चाहकर भी 

नही निकल पा रही

उसके भीतर से।


जाने वाला क्या 

अकेला जाता है कभी?

नही......कभी नही...कभी भी नहीं।

पीछे रह जाती है 

एक बेजान लाश,

यादों का गहरा गुबार।

कभी न मिटने वाला 

स्याह अंधकार।

और आखिर एक दिन

वक्त रूपी हवा उड़ा ले जाती है

साथ अपने उस राख को

जो किसी अपने के 

चले जाने के बाद

तिल-तिल जलकर 

राख में तब्दील हो गयी।


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