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Sonias Diary

Tragedy

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Sonias Diary

Tragedy

मणिकर्णिका घाट

मणिकर्णिका घाट

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नज़ारा बयां नहीं कर सकती ....


इंसान देह बन गया ...

देह कंधो पर सवार हुई....

डुबकी लगी ....

अंतिम डुबकी ....

गंगा स्नान हुआ...


और फिर शैय्या सज गई....

लकड़ी की...

तपती उस अग्नि की...............


ठंडी पड़ी राख पर ....

वहां देखो श्वान दुबक पड़े...

कुछ नोच रहे,कुछ चबा रहे ....


काया , जो अग्नि में ना जल पाई थी

उस मास को उस लाश के हड्डी मांस को ।।।


जल रही थी लाशें एक तरफ़

एक तरफ हुजूम उमड़ा था,

थीं आंखें नम कहीं

कहीं अभिभूत मुखड़ा था।


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