संता का संदेश
संता का संदेश
संता जी की खाली झोली देख
मैं बड़ा अकुलाया।
खाली झोली लेकर आज ये
नया संता कौन है आया?
देख हैरानी मेरी संता जी ने भी
दुखी भाव से अपनी खाली झोली को जोर से हिलाया।
आँखों में भर आंसू कहा उसने फिर,
"देने नहीं लेने आया हूं इस बार
खाली झोली भरने आया हूं इस बार।"
मांगूंगा मैं हर इंसान से उसके
ईर्ष्या,क्रोध और संकीर्ण मानसिकता से भरे स्वार्थ को।
भर झोली साथ ले जाऊंगा उनके इन सभी विकारों को।
अपनी ही रौ में फिर वह बोला:
"संता कहां कब किसी के सामने आता है?
इंसान ही संता बन लोगों को उपहार दे जाता है।
फिर क्यों किसी एक विशेष दिन ही
संता का इंतजार किया जाता है?
क्यों नहीं हर रोज
इंसान ही इंसान का संता बन पाता है?"
सुन बातें संता की मैं मौन खड़ा घबराया
और वह भी
थाम हाथों में खाली झोली
थके हारे कदमों से
आगे बढ़ता नज़र आया।।