STORYMIRROR

Kumar Vikrant

Romance Tragedy

4  

Kumar Vikrant

Romance Tragedy

सफर

सफर

1 min
384

क्या तुम्हें वो सफर याद है?

जब हम अचानक

यू हीं मिल गए थे। 

तुम्हें वो चाय की प्यालियाँ तो याद होंगी 

जो देर तक अनछुई रखी रही थीं

क्योंकि चाय से ज्यादा 

तुम्हे मेरी बातें अच्छी लगी थीं। 

सफर तो अब भी जारी है 

मेरा भी 

तुम्हारा भी। 

ये अलग बात है 

मेरा सफर अब तन्हा गुजर रहा है

और तुम्हारे सफर की बातें 

तुम अब मुझे नहीं बताते हो। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance